पर्वतीय क्षेत्रों में ढालू जमीन, बनावट तथा विशिष्ट परिस्थिति होने के कारण बड़ी नदियों में कच्चे बंधा बनाकर नहरों द्वारा खेतों तक पानी ले जाना काफी कठिन होता है।
2.
शुष्क मौसम में जगह को साफ करके समतल भूमि में ६ द् ६ मीटर कीदूरी पर वर्गाकार विधि से खूंटियाँ लगा दें जब कि ढालू जमीन में त्रिकोणाकारविधि से समान दूरी पर खूंटियां लगायें.
3.
इसी सोच के तहत मध्य प्रदेश के ऊबड़-खाबड़ और ढालू जमीन में खेती के लिए जल संग्रहण के लिए एक विधि का इस्तेमाल हो रहा है, जिसे पाँच प्रतिशत के मॉडल के नाम से जाना जाता है।
4.
हिमालय की पहाड़ियों के चारों तरफ़ ढालू जमीन से उतरते हुए कोहरे की परत के बीच नन्ही-नन्ही कोमल पत्तियों से लिपटी ओस की बूँदो पर जब सूरज की पहली किरण पड़ती है, तो पत्तियों पर फ़ैली ओस की बूंदे चमक उठती है, उन्हे देख कर लगता है, मानो पहाड़ियों ने रत्न जड़ित हरी चुनरिया ओढ़ ली है।
5.
मन की चाह हिमालय की पहाड़ियों के चारों तरफ़ ढालू जमीन से उतरते हुए कोहरे की परत के बीच नन्ही-नन्ही कोमल पत्तियों से लिपटी ओस की बूँदो पर जब सूरज की पहली किरण पड़ती है, तो पत्तियों पर फ़ैली ओस की बूंदे चमक उठती है, उन्हे देख कर लगता है, मानो पहाड़ियों ने रत्न जड़ित हरी चुनरिया ओढ़ ली है।
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हिमालय की पहाड़ियों के चारों तरफ़ ढालू जमीन से उतरते हुए कोहरे की परत के बीच नन्ही-नन्ही कोमल पत्तियों से लिपटी ओस की बूँदो पर जब सूरज की पहली किरण पड़ती है, तो पत्तियों पर फ़ैली ओस की बूंदे चमक उठती है, उन्हे देख कर लगता है, मानो पहाड़ियों ने रत्न जड़ित हरी चुनरिया ओढ़ ली है।